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लोन सेंक्शन लेटर क्या है?
बैंक या एनबीएफसी आवेदक को एक लेटर जारी करते हैं, जिसमें लोन एप्लिकेशन की जानकारी होने के अलावा यह बताया जाता है कि उन्हें जरूरत के लिए फंड दिया जा रहा है और उन्हें बैंक और एनबीएफसी की सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा.
लोन मंजूरी और लोन वितरण में क्या फर्क है?
अकसर लोग कर्ज के लिए अप्लाई करते वक्त लोन सेंक्शन और लोन वितरण में कन्फ्यूज हो जाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि दोनों में फर्क क्या है?
पैरामीटर्स | लोन सेंक्शन | लोन वितरण |
मुख्य मकसद | सेंक्शन लेटर आवेदक को लोन अप्रूवल की गारंटी देता है | लोन वितरण प्रक्रिया का आखिरी चरण है, जहां बैंक से राशि आपके अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है. |
यह क्या होता है? | सेंक्शन राशि वह राशि होती है, जो कर्जदाता गहन जांच के बाद अप्रूव करता है. | यह वो राशि होती है, जो असल में बैंक अकाउंट में वितरित की जाती है. |
वेलिडिटी पीरियड | लोन सेंक्शन लेटर की वैधता 6 महीने की होती . सेंक्शन लेटर कोई प्रावधान नहीं होता. में लोन की राशि, अवधि और ब्याज दर के अलावा अन्य नियम व शर्तें लिखी होती हैं. | वितरण राशि एक वितरण खत के है. इसके खत्म होने के बाद आवेदक को पूरी साथ आता है, जिसमें वैधता का प्रक्रिया से फिर गुजरना पड़ता है |
टाइम होरिजन | अधिकतम 48 घंटे, या फिर जितनी जल्दी कर्जदाता लोन एप्लिकेशन की गहन जांच कर ले. | लोन अप्रूव होने के तुरंत बाद |
ब्याज दर | क्रेडिट स्कोर और आवेदक की प्रोफाइल पर निर्भर | निर्भर करता है कि आवेदक कितना मोलभाव कर सकता है. ब्याज दर वितरण वाली तारीख पर लगेगा न कि सेंक्शन लेटर के मुताबिक. |
यह बात ध्यान रहे कि लोन सेंक्शन लेटर लोन का लीगल अप्रूवल नहीं है. हर ऑर्गनाइजेशन में सेंक्शन लेटर की वैधता अलग-अलग होती है. इसके एक्सपायर होने के बाद आवेदक को लोन के लिए फिर से अप्लाई कर पूरी प्रक्रिया से दोबारा गुजरना पड़ता है.
लोन सेंक्शन लेटर से कैसे घटा सकते हैं ब्याज दर?
आमतौर पर नए और मौजूदा ग्राहकों को ज्यादातर बैंक प्री-अप्रूव लोन देते हैं. प्री-अप्रूव लोन से प्रक्रिया में कोई परेशानी नहीं होती. बैंक वित्तीय और लोन की मंजूरी के बाद आवेदक की लोन एप्लिकेशन की समीक्षा करता है, जो एक निश्चित अवधि तक ही वैध होता है. अब लोन को प्री-अप्रूव कहा जा सकता है.
अगर आप कम दरों पर लोन लेना चाहते हैं तो लोन सेंक्शन लेटर के जरिए कर्जदाता से ब्याज दरों पर मोलभाव कर सकते हैं. चूंकि लोन सेंक्शन लेटर की अवधि 6 महीने की होती है इसलिए आपके पास अन्य वित्तीय संस्थानों के ऑफर्स मालूम करने के लिए पर्याप्त समय है.
बिजनेस लोन के मामले में सेंक्शन लेटर क्या करता है?
मान लीजिए किसी बिजनेसमैन को 4 साल के लिए 30 लाख रुपये के बिजनेस लोन की जरूरत है. किसी बैंक में अप्लाई करने पर उसे ज्यादा ब्याज दरों पर 20 लाख रुपये का लोन अप्रूव किया गया. जो दस्तावेज उसने बैंक में दिए हैं, वह जरूरत लायक राशि पाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. बिजनेस की प्रकृति को देखते हुए ब्याज दर भी ज्यादा ऑफर की गई.
आवेदक ने पाया कि मार्केट रेट की तुलना में ब्याज दर काफी ज्यादा है. वह इतनी ज्यादा ब्याज दरों पर लोन नहीं ले सकता. उसके किसी साथी ने सलाह दी कि किसी अन्य कर्जदाता को खोजें, जो कम ब्याज दरों पर लोन दे. नए बैंक या वित्तीय संस्थान में मोलभाव करने पर, उसे एक बेहतर डील मिल गई, जो उसके बजट के अंदर है.
बैंक से मंजूरी पत्र को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स
वित्तीय संस्थानों से लोन सेंक्शन लेटर मिलना प्रक्रिया का बड़ा हिस्सा है. जो कागजात या दस्तावेज आवेदक पेश करता है, उसकी कर्जदाता गहन जांच करता है, इसके बाद लोन अप्रूव होता है या रिजेक्ट. आवेदक को लोन सेंक्शन लेटर भेजने से पहले, लोन एप्लिकेशन के सभी पहलुओं को वेरिफाई किया जाता है.
अगर आवेदक मंजूर ब्याज दर पर फंड लेने के लिए मना कर देता है तो वह कम ब्याज दरों पर दूसरे पर्सनल लोन कर्जदाता से लोन ले सकता है, जो उसके बजट पर भारी न पड़े.
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